कथित मप्र नर्सिंग कॉलेज घोटाला

नर्सिंग छात्रों में रोष: बोले- ”हम तो देश के बीमारों की सेवा का जज्बा लिए नर्सिंग कॉलेज में पढ़ रहे हैं, सरकारें हमारी देखभाल नहीं कर सकीं “

इंदौर

इन दिनों मध्य प्रदेश के सवा लाख से अधिक नर्सिंग छात्र भय के साए में हैं ।  उल्लेखनीय है कि राज्य के 169 कॉलेजों के पात्र और 66 के अपात्र पाए जाने पर एक बार फिर जांच की तलवार लटक गई है। न्यूज़ओ 2 ने जब आज एबी रोड स्थित शासकीय नर्सिंग कॉलेज में परीक्षा देने पहुंचे छात्रों से बातचीत की तो छात्रों ने कहा नर्सिंग जैसे जॉब की तैयारी करने का हमारा उद्देश्य केवल नौकरी ही नहीं है। इसे हम बेहद पवित्र सामाजिक सरोकार से जुड़ा हुआ पेशा मानते हैं। हमारा उद्देश्य बीमारों की सेवा करते हुए अपना जीवन गुजर बसर करना है लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारी सरकार, समूचा तंत्र, व्यवस्था हमारी देख रेख करने में सफल नहीं रही है। बक़ौल छात्र हमने तो कॉलेज में एडमिशन लेने के पहले अपने स्तर पर पूरी पड़ताल की। भारी भरकम स्टाफ, कॉलेज की बिल्डिंग तमाम मान्यताएं जैसी कागजी और भौतिक औपचारिकताओं को परखने के बाद ही हमने प्रवेश लिया था। अब शासन स्तर पर पात्र (suitable) और अपात्र (unsuitable) जैसे अचानक उपजे झमेलों से हमारा क्या वास्ता ! इन सबकी कीमत हमें चुकाने पर क्यों मजबूर किया जा रहा है? हम तो आज भी कॉलेज प्रबंधन के कहने पर  परीक्षा देने पहुंचे हैं। अब आगे क्या होगा, यह सोच-सोचकर तनाव होता है।

समय: दोपहर 1:30 बजे

स्थान- शासकीय नर्सिंग कॉलेज, इंदौर

यहाँ पीबीएससी के प्रथम वर्ष की परीक्षा है । यहाँ एक दर्जन से अधिक कॉलेजों के नर्सिंग छात्र परीक्षा देकर बाहर निकल रहे थे । newso2 संवाददाता ने जब उनसे हाई कोर्ट और राज्य सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछा तो सब ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।

हम छात्रों की क्या गलती ?

नाम न छापने की शर्त पर छात्रों ने बताया कि इसमें उनकी क्या गलती है? कई लोग दूर दराज के गाँव से आते हैं, उन्हें नहीं पता होता कौन सा कॉलेज सही है और कौन सा फर्जी। ये काम तो सरकारों का है, ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी ही क्यों जाती है ? फिर निरस्त कर दी जाती है।

विज्ञापन देखकर, इन्टरनेट पर पढ़कर लिया एडमिशन

130 किमी दूर खंडवा के एक गाँव से इंदौर पढ़ने आए सुरेश बताते हैं कि हम तो अखबारों में बड़े विज्ञापन देखकर, इंटरनेट पर कॉलेज के बारे में पढ़कर, कोचिंग काउंसलर के कहने पर कॉलेज चयन कर लेते हैं लेकिन ये तो शासन- प्रशासन को सोचना चाहिए अपात्र और फर्जी कॉलेजों में admission (प्रवेश) क्यों दिया जाता है ?

निगरानी एजेंसी हो सख्त

एक नर्सिंग कॉलेज के ड्यूटी दे रहे असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि निगरानी एजेंसी सख्त होनी चाहिए। कॉलेज तो देर सवेर मामला मैनेज करके मान्यता ले लेते हैं लेकिन इन सब में सबसे अधिक परेशानी छात्रों को उठानी पड़ती है, उनका अनावश्यक रूप से सत्र भी पिछड़ता है। साथ ही आर्थिक और मानसिक पीड़ा भी उठानी पड़ती है। कोर्स समय पर पूरा नहीं होने से नौकरी और रोजगार में भी पिछड़ते हैं  । ऐसे में उम्र बढ़ते बढ़ते देर हो जाती है।

समय-समय पर हो मुयायना-निरीक्षण

नर्सिंग स्टूडेंट्स से जुड़े एक शासकीय अस्पताल के अधिकारी वीपी चौधरी बताते हैं कि जांच एजेंसियों को नियमित कॉलेजों का मौका- मुयायना करते रहना चाहिए, लेकिन जमीन पर ऐसा होता नहीं है। कॉलेजों के औचक निरीक्षण और समय समय पर जारी सूचना पत्रों से कॉलेजों को नियम के दायरे में बांधा जा सकता है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।