इंदौर, 11 जून 2024
आचार संहिता समाप्त होने के बाद, आज इंदौर में कलेक्टोरेट में जनसुनवाई आयोजित हुई। इस बार जनसुनवाई की व्यवस्था में हुआ परिवर्तन नागरिकों की मुसीबत का सबब भी बनता दिखाई दिया। कई फरियादी परेशान होकर इधर उधर अधिकारियों के कक्ष ढूंढते नजर आए। इस दौरान एक वृद्ध महिला परेशान होकर फफक-फफक कर रो पड़ी। साथ ही इस बार वॉलेंटियर्स भी नहीं थे जो फरियादियों को संबंधित जगह भेज सकें। हालांकि कलेक्टर आशीष सिंह ने आश्वासन दिया कि आज पहला दिन था, इसलिए थोड़ी समस्या आई, अगली बार ये समस्या नहीं होगी।
केस 1 : फफक-फफक कर रो पड़ी बुजुर्ग महिला
कलेक्टर कार्यालय में एक वृद्ध महिला विधवा पेंशन के आवेदन के लिए आई थी। बुजुर्ग महिला ने बताया कि पहले उसने ग्राउंड फ्लोर पर रजिस्टेशन करवाया, उसे बताया गया कि ऊपर के माले पर जाओ। ऊपर की मंजिल पर गई तो वहाँ से कहा गया नीचे (ग्राउंड फ्लोर) जाओ। महिला ने कहा, “मैं बुजुर्ग, चलने में लाचार हूँ। ऊपर- नीचे होकर परेशान हो गई। पति शांत हो गए है। बच्चे हैं नहीं। अकेली रहती हूँ। विधवा पेंशन के लिए आवेदन करना है। समझ नहीं आ रहा कहाँ जाऊँ।”
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केस 2: अस्पताल की लापरवाही से बिगड़ा केस
खजराना स्थित स्टार हेल्थ केयर अस्पताल पर एक महिला की बच्चेदानी को नुकसान पहुंचाने और बिना महिला को बताए गर्भ निरोधक के उपाय इंप्लांट करने के आरोप फरियादी ने कलेक्टर के समक्ष लगाए । कलेक्टर ने शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया और बताया कि सीएएमएचओ ने अस्पताल प्रशासन को एक महीने में जवाब देने का नोटिस भेजा है। 10 दिन की अवधि शेष है, उसके बाद अस्पताल पर विधिक कार्यवाही की जाएगी।
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केस 3: नल है , जल नहीं
द्वारकापुरी, वार्ड 85 की ऋषि पैलेस कॉलोनी से अंजलि और उनकी सहेली कलेक्टर जनसुनवाई में पहुँचीं। पीड़िताओं ने बताया कि 2016 में नल का कनेक्शन लिया था, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है। टैंकर आते हैं, पर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता। पूर्व महापौर मालिनी गौर के समय से शिकायतें की जा रही हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। स्थानीय पार्षद राकेश जैन ने newso2 के पूछे जाने पर बताया कि दो महीने पहले पानी की टंकी का निर्माण हुआ है और पाइप लाइन बिछाई जा रही है। नल और पाइप का कनेक्शन जोड़ना बाकी है। काम चल रहा है और 10 टैंकरों से 50 बार पानी सप्लाई की जा रही है। ये क्षेत्र ऊंचाई पर है लिहाजा पानी की समस्या है। सुधार के प्रयास जारी हैं।
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केस 4 : बैंक के सिक्योरिटी गार्डों की वेतन कटौती
कोऑपरेटिव प्रीमियर बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले 20 से अधिक पीड़ित जनसुनवाई में पहुंचे। इनकी समस्या थी कि उनके सुपरवाइजर ने लेबर लॉ के नए नियमों का हवाला देते हुए वेतन में कटौती कर दी है। सिक्योरिटी सुपरवाइजर नीरज सिंह ने बताया कि श्रम कानूनों में परिवर्तन के कारण पेमेंट में भी कटौती हुई है। पहले कर्मचारियों के वेतन में 2100 रुपये की वृद्धि हुई थी, लेकिन कोर्ट में याचिका के कारण यह आदेश निरस्त कर दिया गया।
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केस 5 : आरटीई में एडमिशन देने से स्कूल का इंकार
फरियादी राधेश्याम पाल ने बताया कि उन्होने अपने बालक का साईं बाबा पब्लिक स्कूल में आरटीई के तहत एडमिशन कराया था। तीन साल बाद स्कूल फीस मांग रहा है और कह रहा है कि मेरा बच्चा उनके स्कूल में रजिस्टर्ड नहीं होकर सरस्वती स्कूल में है। स्कूल द्वारा मेरे बच्चे की न टीसी दी जा रही है न ही आगे पढ़ाया जा रहा है। फरियादी ने दोनों स्कूलों पर आपसी साठ-गांठ के आरोप लगाए हैं। फरियादी ने बताया वह पहले भी कई बार जनसुनवाई में आ चुका है। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज है, कोई राहत नहीं मिली।
न्यूजओ2 से सीधी बात, कलेक्टर आशीष सिंह
प्रश्न: अलग-अलग कक्षों में हो रही जनसुनवाई में फरियादी इधर-उधर परेशान हो रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि कहाँ जाना है?
उत्तर: जनसुनवाई का पहला दिन था, इसलिए थोड़ी अव्यवस्थाएं हुई हैं । अगली बार से फरियादियों की रजिस्ट्रेशन पर्ची पर कक्ष क्रमांक भी लिख कर देंगे ताकि वे सही जगह पहुँच सकें।
प्रश्न: पहले भी अलग-अलग कक्ष में सुनवाई की व्यवस्था थी, तब यह प्रयोग सफल नहीं हुआ। अब वापस पुराने पैटर्न पर क्यों गए?
उत्तर: पहले जनसुनवाई में आवेदन लेकर रख लिए जाते थे, लेकिन अब मॉनिटरिंग शुरू हो गई है। पंजीयन का प्रथम पृष्ठ ऑनलाइन अपलोड कराया जा रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि निराकरण की टीप आवेदक के आवेदन पर लिखें। अब हर सप्ताह मेरे द्वारा समीक्षा होगी ।
ये है नई व्यवस्था -अधिकारी अपने अपने कक्ष में
नई व्यवस्था के तहत सभी अधिकारी अपने अपने कक्ष में जनसुनवाई करेंगे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद फरियादी को संबन्धित अधिकारी के कक्ष में भेजा जाएगा। रजिस्ट्रेशन का प्रथम पेज ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होगा। इसके बाद हर हफ्ते और हर 15 दिन में प्रकरणों की कलेक्टर द्वारा समीक्षा की जाएगी।
पुरानी व्यवस्था- पहले एक कक्ष में सभी विभाग के अधिकारी मौजूद होते थे
नागरिकों की समस्या के निराकरण के लिए प्रशासनिक संकुलों में जनसुनवाई की शुरुआत शासन द्वारा की गई थी। पहले इंदौर के कलेक्टर कार्यालय में कक्ष क्रमांक 102 में जनसुनवाई की शुरुआत हुई। जहां कलेक्टर, अपर कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जनसुनवाई करते थे। समय के साथ व्यवस्था में और संसोधन करते हुए सभी विभागों के अधिकारियों को एक ही कक्ष में बैठाना शुरू किया गया ताकि फरियादी की फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल न जाते हुए कलेक्टर के माध्यम से ही संबन्धित अधिकारी को सीधी पहुंचाई जा सके। इससे फरियादियों के प्रकरणों को गति मिलने के साथ न्याय भी होने लगा था। साथ ही वॉलेंटियर्स भी मौजूद रहते थे जो फरियादी का मार्ग दर्शन करते थे।