मंडी लोकसभा चुनाव 2024: कंगना का ही नहीं मंडी के मतदाताओं के विवेक का भी एक जून को है इम्तिहान
बतौर सारथी यहाँ नरेंद्र मोदी की भी लोकप्रियता लगी है दाव पर
इंदौर
देश की चर्चित लोकसभा सीटों में शुमार हिमाचल प्रदेश की मंडी लोक सभा सीट पर इस बार केवल अभिनेत्री कंगना रनौत की ही नहीं देश के प्रधानमंत्री बक़ौल भाजपा, लोकप्रिय जननायक नरेंद्र मोदी की भी छवि दांव पर लगी हुई है। राजनीतिक समझ और देश की आजादी के इतिहास का औसत दर्जे की सामान्य समझ से रुखसत कंगना रनौत यहाँ कांग्रेस के शाही परिवार से आने वाले विक्रमादित्य सिंह की टक्कर में उतारी गई हैं।
मीडिया हलक़ों में इस चुनाव को King VS Queen के बीच बताया जा रहा है। साढ़े 12 लाख से अधिक मतदाताओं वाली मंडी लोकसभा सीट पर वैसे तो 1951 से दो उपचुनाव समेत 20 लोकसभा चुनाव में 13 से अधिक बार कांग्रेस ने जीतकर यहाँ कब्जा किया है। भाजपा 5 बार अपना परचम फहराने में सफल रही है। बीते लोक सभा चुनाव 2019 में यहाँ भाजपा के उम्मीदवार रामस्वरुप शर्मा ने कांग्रेस के उम्मीदवार आश्रय शर्मा को 405,459 मतों से पटकनी दी थी लेकिन इसके बाद यहाँ 2021 में हुए लोक सभा उप चुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने भाजपा के ब्रिगेडियर कुशल ठाकुर को दस हजार से अधिक मतों से पराजित कर यह सीट कांग्रेस के नाम कर दी थी। इस बार 2024 लोक सभा चुनाव में यहाँ इन्हीं प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं। भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के नजरिए से यह सीट कितनी अहम है, इसका अंदाजा यहाँ बीते दिनों पीएम मोदी ने स्वयं रैली कर दे दिया है। यहाँ सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है।
दोनों प्रत्याशियों में क्या है खासियत, क्या है कमजोरी ?
राजनीतिक अनुभव की बात करें तो विक्रमादित्य सिंह एक मंझे हुए राजनेता हैं। सियासत में वे एक legacy के तहत आते हैं। स्थानीय लोगों के बीच रहे हैं। मतदाताओं के मिजाज को बेहतर तरीके से जानते हैं। वहीं कंगना रनौत बॉलीवुड की queen के नाम से ख्यात होने के साथ -साथ बतौर अदाकारा चर्चित चेहरा हैं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व से लेकर स्थानीय संगठन कंगना रनौत की जीत के लिए जुटा हुआ है। जानकार उन्हें महिला होने के चलते चुनावी लाभ मिलने के संकेत देते हैं।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के कमजोर पक्ष की बात करें तो स्थानीय राजनेता होने के चलते उन पर कई मामले भी दर्ज हैं। इसके साथ साथ विक्रमादित्य पर अपराधिक छवि के आरोप भी हैं। इधर कंगना रनौत अपनी राजनीतिक और एतिहासिक समझ से दिवालिया होने के कई बार प्रमाण दे चुकी हैं। देश के बुद्धिजीवी वर्ग का एक धड़ा मानता है कि कंगना संभवत: ऐसी पहली पदमश्री सम्मानित अदाकारा हैं जिन्होने आजादी के नायकों का खुले आम अपमान किया है। कंगना के विवादित हास्यास्पद बयान सामने आते रहते हैं।