नेहा जैन, इंदौर

इंदौर लोक सभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कान्ति बम ने ‘हम भारत के लोगों’ की लोकतान्त्रिक आस्था को खंडित किया है साथ ही भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस दगाबाजी का खुले आम श्रेय लेकर सिद्ध कर दिया है कि शीर्ष नेतृत्व मोदी-शाह की राजनीति दमनकारी होकर लोकतांत्रिक मूल्यों को पूरी तरह लीलती जा रही है। लेकिन ऐसा नहीं है सत्ता ठगने के इस फरेबी खेल में भाजपा ही दागदार हुई है। इस घटना ने मध्य प्रदेश को भीतर से कमजोर करते जा रहे उस ‘दिग्विजय खेल’ को भी उजागर कर दिया है जिस पर अपने निजी स्वार्थों के चलते ऐसे खेलों में प्रायोजक की भूमिका के आरोप लगते रहे हैं। मसलन आंकड़ों पर गौर करें तो ‘अक्षय बम कांड’कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पूर्व सीएम और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के समर्थन से कांग्रेस का टिकट हासिल कर प्रत्याशी कांग्रेस को ही चुनाव में परास्त करते नजर आए हैं।


 2009 में स्वर्गीय सुषमा स्वराज को मिला था वॉकओवर 


1- 2009 में विदिशा से भाजपा की सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस ने दिग्विजय शासन में कैबिनेट मंत्री रहे राजकुमार पटेल को टिकट दिया था लेकिन पटेल का एन मौके पर नामांकन रद्द हो जाने से कांग्रेस प्रत्याशी विहीन हो गई थी, जिससे सुषमा स्वराज को वॉक ओवर मिल गया था। न्यूजओ2 के प्रश्न पर पटेल ने जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है लेकिन सत्ता के प्रभाव में अंतत: उनकी याचिका असरहीन हो गई। 

स्टेट्स-वर्तमान में पटेल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष है।

2- अलोट विधान सभा उपचुनाव 2013 में कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्डू समर्थक कमल परमार को बी फॉर्म जारी किया । कहा जाता है, कथित आरोप हैं कि गुड्डू ने फॉर्म में  छेड़छाड़ कर फार्म में अपने बेटे अजित बोरासी का नाम लिख दिया था। बावजूद इसके बोरासी ये चुनाव हार गए थे और गुड्डू को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था।  

3- वर्ष 2014 लोक सभा चुनाव में पूर्व आईएएस रह चुके भागीरथ प्रसाद को कांग्रेस ने भिंड से टिकट दिया था। प्रसाद ने टिकट मिलने के अगले दिन कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके बाद प्रसाद  भाजपा से चुनाव जीत कर संसद पहुँचने में कामयाब रहे थे। newso2 से बात करते हुए प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी छोड्ने की वजह गुटबाजी को बताया है। उन्होने दावा किया कि कांग्रेस में भीतरघात के चलते वे भिंड से 2009 में लोकसभा का जीता जिताया चुनाव हार गए थे। गुटबाजी के चलते वरिष्ठ नेताओं का सहयोग नहीं मिला था। 2014 में भी वही स्थिति बन रही थी, इसलिए भाजपा में शामिल हुआ। यहाँ भी ये कहने की जरूरत नहीं कि ये नुकसानदायक गुटबाजी का मुख्य किरदार दिग्विजय थे। 

वर्तमान स्टेट्स- मप्र कार्य समिति सदस्य (कोई दायित्व नहीं) https://newso2.com/former-mp_bhagirath-prasad-discussed-reasons-for-leaving-congress-in-2014

4- 2024 अक्षय बम इंदौर – 29 अप्रैल 2024 को इतिहास का काला दिन दर्ज किया गया जब कांग्रेस प्रत्याशी फॉर्म वापसी के आखिरी दिन फॉर्म उठाकर भाजपा में चले गए और सबको चौंका दिया। बम ने आज अपनी सफाई में अनेक कुतर्क दिए। जिसे पृथक से की गई खबर आप जान सकते हैं।   https://newso2.com/akshay-bam-leaves-congress-lack-of-party-support

5- 2024 लोकसभा चुनाव में इंदौर से कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल पर लापरवाही पूर्वक नामांकन फॉर्म भरने के आरोप लगे हैं, जिसकी वजह से उनका फॉर्म खारिज हो गया। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर अब पटेल सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। मोती पटेल ने newso2 से कहा कि मैंने नियम के मुताबिक ही फॉर्म भरा था । मुख्य प्रत्याशी का फॉर्म स्वीकृत होने के बाद मेरा substitute candidate के रूप में स्वत: फॉर्म खारिज हो गया। अब मैं सुप्रीम कोर्ट जा रहा हूँ।

 वर्तमान स्टेट्स- कोई दायित्व नहीं

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।