इंदौर, 01 मई 2025

नरेंद्र सलूजा जी का असमय चले जाना न केवल उनके परिवार, भाजपा-कांग्रेस, बल्कि इंदौर की पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है। वे एक संवाद सेतु थे, जिन्होंने सत्ता और पत्रकारिता के बीच संतुलन बनाए रखा। उनकी विदाई ने एक शून्य छोड़ा है, जिसे भरना असंभव-सा लगता है।

मात्र चार दिन पहले, सलूजा जी ने मेरी एक खबर पढ़कर फोन किया था। व्यस्तता के चलते मैं फोन नहीं उठा सकी। अगले दिन कॉल बैक किया तो उनकी वही आत्मीयता, “बस, यूं ही!” फिर, सीएम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुलाकात हुई। इशारों में बोले, “सवाल पूछना है!” वे जानते थे, मेरा सवाल सत्ता के रंग को फीका कर सकता है। उनकी यह समझ, यह संवेदनशीलता आज के प्रचार तंत्र के दौर में दुर्लभ थी।

पत्रकारिता के संरक्षकों का यूं एक-एक कर चले जाना मन को द्रवित करता है। पहले उमेश शर्मा जी, फिर गोविंद मालू जी और अब सलूजा जी। ये वो चेहरे थे, जिन्होंने खबरों की प्रकृति को समझा, सवालों की धार को सम्मान दिया।

सलूजा जी का जाना एक युग का अंत है। उनकी स्मृति में हमारी पत्रकारिता और सशक्त होगी, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। इंदौर की पत्रकार बिरादरी उन्हें हमेशा याद रखेगी। उनके विचार, उनकी हंसी, और उनकी बेबाकी हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।
ॐ शांति। स्मृति शेष।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।