— कथित ब्लैकमेलिंग का आरोप, सवालों के घेरे में अभिव्यक्ति की आज़ादी
इंदौर/जयपुर, 18 अक्टूबर 2025। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर लगातार प्रहार जारी हैं। पत्रकारिता के लिए हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं। सरकार और सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ बोलने या लिखने की कीमत अब गिरफ्तारी के रूप में चुकानी पड़ रही है। ताज़ा मामला राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच का है — जहां राजस्थान पुलिस ने भोपाल से दो पत्रकारों को हिरासत में लिया है और एक दिन बाद जमानत भी मिल गई है।
आरोप है कि ‘द सूत्र’ के एडिटर-इन-चीफ आनंद पांडे और मैनेजिंग एडिटर हरीश दिवेकर ने राजस्थान की डिप्टी सीएम दिया कुमारी के खिलाफ “तथ्यहीन और निराधार” खबरें चलाईं तथा खबरें न हटाने के एवज़ में कथित तौर पर करोड़ों रुपए की मांग की।
राजस्थान पुलिस का दावा
राजस्थान पुलिस ने बढ़ते सवालों के बीच 17 अक्टूबर 2025 को एक प्रेस नोट जारी किया है। प्रेस नोट के अनुसार,
“28 सितंबर 2025 को दर्ज रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘द सूत्र’ वेब पोर्टल पर उपमुख्यमंत्री राजस्थान के खिलाफ करीब एक दर्जन झूठी खबरें प्रकाशित की गईं। इन खबरों को हटाने और भविष्य में ऐसी खबरें न चलाने के एवज़ में 5 करोड़ रुपये की मांग की गई। राशि न देने पर पत्रकारों ने ‘ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया’ चलाने की धमकी दी।”
पुलिस ने कहा कि तकनीकी डेटा, प्रसारित सामग्री और गवाहों के बयानों के आधार पर यह पाया गया कि संबंधित खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं थीं। आरोपियों को भोपाल से हिरासत में लेकर जयपुर लाया जा रहा है ताकि अन्य सहयोगियों से पूछताछ की जा सके।
उधर ‘द सूत्र’ ने अपने वेब पोर्टल के माध्यम से कहा, कि उनके दोनों वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ न कोई आरोप है और न ही कोई एफआईआर हुई है। नियम विरुद्ध हिरासत में लिया गया है। द सूत्र ने कहा हम पत्रकारिता करते हैं, चाटुकारिता नहीं।
🔹 पत्रकारिता पर उठे गंभीर सवाल
मामले ने मीडिया जगत में हलचल मचा दी है।
पत्रकार संगठनों का कहना है कि सरकार की आलोचना को ‘ब्लैकमेलिंग’ बताकर आवाज़ें दबाना एक खतरनाक संकेत है। वहीं, पुलिस का दावा है कि यह कार्रवाई “शिकायत और साक्ष्यों के आधार पर” की गई है।
घटना के बाद पत्रकार संघों और प्रेस क्लबों ने गिरफ्तारी की पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। कई संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
