इंदौर महापौर ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी , स्मार्ट सिटी के अफसरों द्वारा अवैध तरीके से बढ़ाया गया टेंडर

तत्कालीन अधिकारियों ने पद का किया दुरुपयोग, ईओडबल्यू से जांच कराने की मांग

इंदौर, 12 जून 2024

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में नगर निगम में करोड़ों के फर्जी बिल पास होना का घोटाला सामने आने के बाद स्मार्ट सिटी में भी अनियमितताएं सामने आ रही हैं। महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और स्मार्ट सिटी में पूर्व अफसरों की कार्य शैली पर सवाल खड़े करते हुए मुख्य सचिव से जांच की मांग की है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों पर आरोप है कि वर्ष 2021 में तत्कालीन अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध रूप से नेप्रा कंपनी को लाभ पहुंचाया है।

महापौर ने चिट्ठी में लिखा, नेप्रा को 30 जुलाई 2021 तक 4 करोड़ 42 लाख 42 हजार 458 रु की रॉयलिटी जमा करवानी थी लेकिन उससे वसूली (Recovery) तक नहीं की गई जबकि टेंडर की शर्त है कि यदि लगातार दो साल रॉयलिटी नहीं दी गई तो टेंडर निरस्त हो जाएगा, इसके बावजूद भी 27 दिसंबर 2021 को हुई बोर्ड मीटिंग में नेप्रा कंपनी का अनुबंध 7 साल के लिए बढ़ा दिया गया। इसमें कोविड के भी दो साल शामिल है, इस प्रकार 9 साल के लिए अनुबंध बढ़ा दिया गया। यह निर्णय टेंडर और अग्रीमेंट के बीच सीधा विरोधाभाष दर्शाता है। महापौर ने कंपनी का अनुबंध तत्काल निरस्त करने और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त से कराने की मांग की गई है।

महापौर ने पत्र में लिखा कि यह घटना आईएससीडीएल (इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड) के चुनिंदा अधिकारियों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया की खुलेआम अवहेलना और प्रणाली में हेरफेर का स्पष्ट उदाहरण है। धोखाधड़ी और छल से चिह्नित इस घोर कदाचार ने राज्य के खजाने को महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन अधिकारियों ने समान विचारधारा वाले निजी संस्थाओं के साथ मिलकर साजिश रची है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है और पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता को कमजोर कर दिया है। इससे निगम की छवि भी प्रभावित हुई है।