विजिलेंस जांच के घेरे में डायरेक्टर
भोपाल।
मध्यप्रदेश की हरियाली और पर्यावरण सुरक्षा पर उस समय सवाल खड़े हो गए, जब राज्य की पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (SEIAA) की डायरेक्टर आर. उमा माहेश्वरी पर गंभीर आरोप लगे। कहा जा रहा है कि उन्होंने न केवल अथॉरिटी की बैठकें अनिश्चितकाल के लिए रोक दीं, बल्कि कई अहम फैसले भी अकेले ही कर डाले — वह भी बिना सदस्यों की मंजूरी और नियमानुसार प्रक्रिया के।
क्या है मामला?
शाहजहांनाबाद (भोपाल) निवासी राशिद खान ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (DoPT) तक पहुंचाई। अब मंत्रालय के विजिलेंस डिवीजन ने इस पर जांच शुरू कर दी है। शिकायत में दावा किया गया कि डायरेक्टर ने नियमों को दरकिनार कर पर्यावरणीय स्वीकृतियों के फैसले अकेले ही लिए, जिससे न सिर्फ नियमन प्रक्रिया प्रभावित हुई, बल्कि इससे राज्य का ग्रीन कवर भी संकट में पड़ सकता है।
कौन-कौन घेरे में?
- पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी
- एपीसीओ के पूर्व कार्यपालक निदेशक श्रीमन शुक्ला
इन दोनों अधिकारियों के नाम भी इस मामले में उछल रहे हैं। जांच में इनकी भूमिका की भी पड़ताल की जाएगी।
बड़े सवाल:
- क्या नौकरशाही की यह ‘मनमानी’ लोकतांत्रिक पारदर्शिता की धज्जियां नहीं उड़ा रही?
- जब नियमों की रक्षा करने वाली अथॉरिटी ही प्रक्रियाओं को तोड़े, तब आम जनता न्याय के लिए कहां जाए?
- क्या विजिलेंस जांच के बाद कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह मामला भी सरकारी फाइलों में धूल फांकता रह जाएगा?
आगे क्या?
फिलहाल मामला विजिलेंस जांच में है। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर नियमों की अनदेखी कितनी बड़ी थी, यह आने वाली जांच रिपोर्ट से स्पष्ट होगा। लेकिन यह प्रकरण एक बार फिर दिखाता है कि जब सत्ता और सुविधा का मेल होता है, तो ग्रीन कवर के नाम पर भी ‘ग्रीन वॉशिंग’ हो सकती है।